Interpreter क्या होता है ?Interpreter kya hota hai

Interpreter क्या होता है ?Interpreter kya hota hai

Interpreter -इंटरप्रेटर और कंपाइलर में मूल फर्क यह है कि कंपाइलर पूरे प्रोग्राम को एक साथ ही मशीन कोड में परिवर्तित कर देता है,जबकि इंटरप्रेटर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम के एक-एक निर्देश को बारी-बारी से मशीनी भाषा में परिवर्तित करके क्रियान्वित करता है ।यह एक साथ पूरे प्रोग्राम को मशीनी कोर्ट में एग्जीक्यूट नहीं करता है। इंटरप्रेटर मेमोरी में स्थान का घेराव भी कम करता है ,जिस से प्रोग्राम पर कार्य करते समय मेमोरी स्पेस बच जाता है।प्रोग्राम को लिखने से पहले ही इंटरप्रेटर को मेमोरी में लोड कर दिया जाता है। अगर हमारे प्रोग्राम में कोई गलती है तो तुरंत ही उसको हाईलाइट करके प्रोग्रामर उसमें सुधार करता है। उसके बाद ही यह प्रोग्राम को मशीनें भाषा में क्रियान्वित करता है। उच्च स्तरीय भाषा का प्रोग्राम जब भी हम पुणे क्रियान्वित करते हैं तो उसका अनुवाद मशीनी भाषा में इंटरप्रेटर करता है ।इंटरप्रेटर की हमेशा जरूरत बनी रहती है क्योंकि यह प्रयोग में आसान है। भाषा जो इंटरप्रेटर का उपयोग करती है का एक निश्चय इंटरप्रेटर होता है ।

Compiler kya hota hai

इंटरप्रेटर कितने प्रकार के होते हैं

Interpreter को 4 भागों में विभाजित किया जाता हैं, जो निम्न प्रकार हैं –

  • Bytecode Interpreter: यह इसका प्रथम भाग होता हैं। जिसमें यह सर्वप्रथम source code को bytecode में परिवर्तित करता हैं। यह source codes का एक छोटा भाग होता हैं। इसमें निर्देशों की संख्या को सीमित रखा जाता हैं।
  • Threaded Code Interpreter: इसमें निर्देश असीमित होते हैं क्योंकि इसमें विभिन्न कोड्स को क्रमबद्ध (sequence) रूप से निर्देशित किया जाता हैं।
  • Abstract Syntax Tree Interpreter: इसका कार्य सोर्स कोड को abstract syntax tree (AST) में परिवर्तित करना होता हैं। जिसके पश्चात यह इसके अनुसार ही अपने कार्य को पूर्णता प्रदान करता हैं। यह source code को एक-एक लाइन के रूप में संगठित करता हैं।
  • Self Interpreter: यह इंटरप्रेटर का सबसे मुख्य भाग हैं। यह programming codes के मूल स्वरूप में बदलाव करने का कार्य करता हैं। जिससे किसी भी उच्च स्तरीय भाषा को समझने में यह कंप्यूटर की सहायता करता हैं।

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