पुनर्बलन कौशल

पुनर्बलन कौशल (Reinforcement Skill) पुनर्बलन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम मनोवैज्ञानिक पावलोव ने 1903 में किया था। यह सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग हैं। इस कौशल का विकास कर शिक्षक के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने का कार्य किया जाता हैं। पुनर्बलन कौशल के द्वारा शिक्षक छात्रों को अधिगम करने और शिक्षण-प्रक्रिया में सक्रिय रखने का प्रयास करता हैं।

पुनर्बलन कौशल का प्रयोग कर छात्रों के मनोबल में वृद्धि करने का प्रयास करने के साथ-साथ यह छात्रों को उत्तर देने के लिए एवं सक्रियता दिखाने में भी यह सहायता प्रदान करता हैं। दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से जनिंगे कि पुनर्बलन कौशल (Reinforcement Skill) क्या हैं? पुनर्बलन के प्रकार और इसके प्रयोग में बरतने वाली सावधानियां?

पुनर्बलन कौशल (Reinforcement Skill) क्या हैं?

पुनर्बलन का अर्थ होता हैं आंतरिक बल अर्थात छात्रों में शिक्षण-प्रक्रिया में रुचिपूर्ण भाग लेने के लिए उन्हें बल देना अर्थात उन्हें प्रेरित करना। जिससे छात्र अनुक्रिया कर सकें। इसमें पुनर्बलन उद्दीपन का कार्य करता हैं और इस इस उद्दीपन हेतु छात्र उचित अनुक्रिया करते हैं। पुनर्बलन कौशल द्वारा छात्रों के मनोबल और उनके आत्मविश्वास में वृद्धि करने का कार्य किया जाता हैं। यह छात्रों को आंतरिक रूप से बदलने में उनकी सहायता करता हैं। जिससे वह अपनी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बना सकें। इसके द्वारा छात्रों में सकारात्मक सोच का भी विकास किया जाता हैं।

पुनर्बलन कौशल द्वारा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाया जाता हैं और छात्राध्यापकों में इसका विकास कर उनमें कुशल शिक्षक के गुणों का समावेश किया जाता हैं।

छात्रों को अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करना पुनर्बलन कौशल कहलाता हैं। इसके द्वारा छात्रों को प्रेरित करने का कार्य किया जाता हैं जिससे वह कक्षा में सक्रिय रहें और पूछे गए उत्तरों का उत्सुकता के साथ जवाब दें सामान्यतः पुनर्बलन छात्रों के मनोबल में वृद्धि करने का उत्तम मार्ग एवं साधन हैं। पुनर्बलन कौशल (Reinforcement Skill) का प्रयोग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के निर्माण में सहायता प्रदान करता हैं।

पुनर्बलन के प्रकार (Types of Reinforcement)

धनात्मक पुनर्बलन – इस प्रकार के पुनर्बलन के प्रयोग से छात्रों में सकारात्मक पक्ष के साथ उनसे अनुक्रिया करवाई जाती हैं। धनात्मक पुनर्बलन में छात्रों को प्रेरित करने के लिए उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया जाता हैं। जिससे वह परिस्थिति दुबारा आने पर वह उचित अनुक्रिया दे सकें। इस उद्दीपन की प्रस्तुति करने से उनके अनुक्रिया देने की उम्मीद में वृद्धि होती हैं। धनात्मक पुनर्बलन का छात्रों में प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है- शाब्दिक और अशाब्दिक। शाब्दिक पुनर्बलन में छात्रों को शब्दों के माध्यम से प्रेरित किया जाता हैं। जैसे उनके उत्तर देने में उनको शाबासी देना, अच्छा, बहुत अच्छा और अशाब्दिक पुनर्बलन में छात्रों को बिना शब्द प्रयोग किए उनके मनोबल में वृद्धि की जाती हैं।

ऋणात्मक पुनर्बलन –इस प्रकार के पुनर्बलन में छात्रों की ऐसी अनुक्रिया को रोकने का प्रयास किया जाता हैं जो उनके शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के लिए हानिकारक होती हैं। छात्रों का ऐसा व्यवहार जो उनके शिक्षण में उनको हानि पहुचाने का कार्य करता है। इनको दूर करने के लिए ऋणात्मक पुनर्बलन का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे- दण्ड देना, गुस्सा करना आदि। ऋणात्मक पुनर्बलन भी दो प्रकार के होते हैं शाब्दिक और अशाब्दिक। शाब्दिक में शब्दों के माध्यम से छात्रों पर गुस्सा किया जाता हैं जैसे- मूर्ख कहना आदि। जिससे वह दुबारा वो अनुक्रिया ना करें। अशाब्दिक में बिना शब्दो का प्रयोग किए अनुक्रिया को रोकने का प्रयास किया जाता हैं जैसे- आँखे दिखाना, गुस्से से देखना, किताब पटकना आदि।

पुनर्बलन कौशल (Reinforcement Skill) के प्रयोग में क्या-क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता हैं-

1. छात्रों को उचित मात्रा में ही पुनर्बलन प्रदान करना चाहिए अर्थात आसान प्रश्न के उत्तर देने हेतु उन्हें अधिक पुनर्बलन देने की आवश्यकता नहीं इससे कक्षा असंतुलित हो सकती हैं।

2. उचित छात्र को ही पुनर्बलन देना चाहिए अन्यथा अन्य छात्रों में हीन भावना का विकास होगा। जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया प्रभावित हो सकती हैं।

3. ऋणात्मक पुनर्बलन का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए अन्यथा छात्र प्रेरित होने की जगह अप्रेरित हो सकते हैं।

4. धनात्मक पुनर्बलन में स्थिति के अनुसार ही उचित पुरस्कार का चयन किया जाना चाहिए अर्थात आसान उत्तर की प्राप्ति हेतु मूल्यवान पुरस्कार प्रदान नही किया जाना चाहिए।

पुनर्बलन के कुछ और उदाहरण नीचे दिए हैं

सकारात्मक शाब्दिक पुनर्बलन -इस प्रकार की पुनर्बलन में शिक्षक विभिन्न प्रकार के सकारात्मक शब्दों का शब्दों के साथ अपने हाव-भाव से छात्रों की सकारात्मक परिवर्तन प्रदान करता है जैसे –

1-बहुत अच्छा !मैं तुम्हारी भावना समझ रहा हूं। तुम्हें कक्षा में अपनी बात कहने का अधिकार है बोलो !तुम्हें कोई दंड नहीं मिलेगा ।

2 -कभी-कभी प्रोत्साहित करने वाले छोटे-छोटे शब्द भी सकारात्मक पुनर्बलन प्रदान करते हैं,जैसे अच्छा,बहुत अच्छा, हाँ,बोलते रहो,.

सकारात्मक अशाब्दिक पुनर्बलन -कक्षा में कई बार शब्दों का प्रयोग ना करें के अशाब्दिक हाव भाव से छात्रों को सकारात्मक पुनर्बलन दिया जा सकता है जैसे -किसी छात्र द्वारा उत्तर देने पर मुस्कुरा देना,सिर हिला देना,छात्र के उत्तर पर प्रसन्नता दिखाना आदि ऐसे कई हावभाव हैं जो कि छात्र को पुनर्बलन प्रदान करते हैं

3-नकारात्मक शाब्दिक पुनर्बलन -नकारात्मक पुनर्बलन से ताकतवर है कि कक्षा में सही उत्तर ना मिलने पर छात्र में हतोत्साहित कर देना ।दंडित करना कटाक्ष करना या अपशब्द कहना ।शिक्षा किस प्रकार के व्यवहार से छात्रों की सहभागिता में कमी आती है। अतः शिक्षा को इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।जैसे -तुम क्या कर रहे हो कुछ समझ नहीं आ रहा,बेवकूफ, बिल्कुल नहीं,. तुम्हें इतना भी नहीं पता आदि शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए

4-नकारात्मक अशाब्दिक पुनर्बलन –नकारात्मक अशाब्दिक पुनर्भरण से तात्पर्य शब्दों का प्रयोग ना करें कक्षा में ऐसे हाव-भाव या इशारे करना जिससे छात्र उत्साहित हो प्रिया प्रेरणा का स्तर गिर जाए । जैसे -कक्षा में हाथ या पैर पटकना,गुस्से से देखना,

पुनर्बलन कौशल के मुख्य घटक –

  1. सकारात्मक शाब्दिक पुनर्बलन ।
  2. पुनरावृति तथा पुनः वाक्यांश
  3. अतिरिक्त शाब्दिक संकेत ‘
  4. सकारात्मक अशाब्दिक संकेत ।
  5. छात्रों के उत्तर श्यामपट्ट पर लिखना ।
  6. नकारात्मक शाब्दिक पुनर्बलन ‘
  7. नकारात्मक अशाब्दिक पुनर्बलन ।
  8. पुनर्बलन का गलत प्रयोग ‘
  9. उपयुक्त प्रयोग ।

पुनर्बलन कौशल पर सूक्ष्म पाठ योजना

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