चकबंदी क्या होता है | चकबंदी का कानून, अधिनियम व नियम के बारे में जानकारी

भारत में चकबंदी की आवश्यकता को बहुत पहले समझ लिया गया था। सर्वप्रथम 1920 ईस्वी में बड़ौदा में चकबंदी अधिनियम पास किया गया था। पहली योजना प्रारंभ होने से पहले ही उत्तर प्रदेश पंजाब तत्कालीन मुंबई राज और हैदराबाद में चकबंदी कानून बनाए जा चुके थे। इस समय लगभग सभी राज्यों में चकबंदी कानून बनाए जा चुके हैं आरंभ में ऐच्छिक चकबंदी की व्यवस्था की गई थी। परन्तु कुछ समय के भीतर उसकी असफलता स्पष्ट हो गई तो अनेक राज्यों में चकबंदी संबंधी ऐसे कानून बनाए जिससे सरकार को चकबंदी संबंधी योजना बनाकर उसे कार्यान्वित करने के लिए व्यापक अधिकार ।इस समय अनेक राज्यों में स्थिति यह है कि यदि किसी गांव के भी आधे भूस्वामी जिनके पास संपूर्ण कहो कि 2 बटा इस समय अनेक राज्यों में स्थिति यह है कि यदि किसी गांव के भी आधे भूस्वामी जिनके पास संपूर्ण गांव कि 2 / 3 कृषि भूमि है , जोतों की चकबंदी के लिए सरकार के पास प्रतिवेदन भेजें

तो सरकार चकबंदी अधिकारी नियुक्त कर भूमि के इस प्रकार भूमि वितरण की व्यवस्था करेगी सभी को जहां तक संभव हो एक ही स्थान पर भूमि मेले

चकबंदी कार्य में कठिनाइयां

भूमि के अप खंडन की समस्या हल करने के लिए चकबंदी कार्य जितना आवश्यक है ।

  • कुछ राज्यों में चकबंदी कानूनों का ना होना और कुछ अन्य राज्यों के कानूनों में केवल आशिक चकबंदी की व्यवस्था इस कार्य में सबसे प्रधान वाधा है ।
  • भारतीय कृषक ओं में पैतृक भूमि के प्रति बहुत अधिक मोह है। वे आसानी से उसे छोड़कर दूसरी भूमि लेने के लिए तैयार नहीं होते है

चकबंदी कितने साल पर होती है?

करीब 50 साल हो गए चकबंदी हुए। नियम और कानून में तीस साल पूरे होते ही प्रक्रिया शुरू करने का प्रावधान है।

चकबंदी और बड़ा बंदि क्या थी?

चकबंदी वह विधि है [[जिसके द्वारा व्यक्तिगत खेती को टुकड़ों में विभक्त होने से रोका एवं संचयित किया जाता है तथा किसी ग्राम की समस्त भूमि को और कृषकों के बिखरे हुए भूमिखंडों को एक पृथक्‌ क्षेत्र में पुनर्नियोजित किया जाता है।

चकबंदी के नियम?

चकबंदी बंदोबस्त अधिकारी द्वारा प्रस्तावित चकबंदी योजना को धारा-23 के तहत पुष्ट किया जाता है, जिसके बाद नई जोतों पर खातेदारों को कब्ज़ा दिलाया जाता है। यदि कोई खातेदार इस प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है तो खातेदार धारा-48 के तहत उप संचालक चकबंदी के न्यायालय में निगरानी वाद दायर कर सकता है।

चकबंदी कितने प्रकार की होती है?

चकबन्दी दो प्रकार की होती है

– ऐच्छिक चकबन्दी

-अनिवार्य चकबन्दी

ऐच्छिक चकबन्दी ऐच्छिक चकबन्दी से अर्थ उस चकबन्दी से है, जिसमें चकबन्दी कराना कृषक की इच्छा पर निर्भर करता है। उस पर चकबन्दी कराने के लिए दबाव नहीं डाला जाता है। …

उत्तर प्रदेश में चकबंदी कब होगी?

उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम को 04 मार्च, 1954 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी तथा इसका प्रकाशन दिनांक 08 मार्च, 1954 को उत्तर प्रदेश असाधारण राजपत्र में किया गया। इस प्रकार उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम, 1953 08 मार्च, 1954 से लागू है।

चकबंदी से क्या लाभ है?

छोटे-छोटे खेतों की मेड़ों में भूमि बर्बाद नहीं होती है। खेत बड़े हो जाने से मशीनीकरण आसान हो जाता है। खेत का आकार अधिक हो जाने से लागत घट जाती है। कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव हो पाती है

41 45 क्या है?

सूची के साथ खसरा, खतौनी, जोत चकबंदी आकार पत्र 41,45 तथा मौके पर कब्जे तथा विवाद की स्थिति भी स्पष्ट की जाए। सासनी जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम में शासन द्वारा किए गए जन कल्याणकारी संशोधन राजस्व कर्मचारी एवं अधिकारियों की कमाई का जरिया बनकर रह गए हैं।

FAQ

करीब 50 साल हो गए चकबंदी हुए। नियम और कानून में तीस साल पूरे होते ही प्रक्रिया शुरू करने का प्रावधान है।


प्रकार
 चकबन्दी दो प्रकार की होती है- ऐच्छिक चकबन्दी अनिवार्य चकबन्दी

चकबंदी का कार्य सर्वप्रथम प्रयोगिक रूप से सन्‌ 1920 में पंजाब में प्रारंभ किया गया था। सरकारी संरक्षण में सहकारी समितियों का निर्माण हुआ, ताकि चकबंदी का कार्य ऐच्छिक आधार पर किया जा सके।

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