हेड माउंटेड डिस्प्ले क्या है?

हेड माउंटेड डिस्प्ले क्या है?

उसर-रेड-माउंटेड डिस्प्ले (Head-mounted display), जिसे संक्षेप में एचएमडी (HMD) कहा जाता है सिर पर पहना जा सकने वाता हेल्मेट में लगाया जाने वाला उपकरण होता है, जिसमें आँखों के सामने एक दृश्य दिखाने वाला यंत्र लगा होता है।

हेड-माउंटेड डिस्प्ले ऐसा पहला साधन था, जिससे इसको पहनने वाले को आभासी संसार में लीन हो जाने का अनुभव होता है। 1965 में ईवांस और सदरलैंड (Evans and Sadarland) ने एक हेड-माउंटेड स्टीरियो डिस्प्ले का प्रदर्शन किया था लेकिन व्यापारिक रूप से पहला एचएमडी उपलब्ध कराने में 20 वर्ष लग गये। 1989 में बीपीएल रिसर्च (VPL Research) नामक कम्पनी ने ऐसा पहला एचएमडी बाजार में उतारा था, जिसे आईफोन (EyePhone) कहा जाता था आजकल इसी के कुछ विकसित रूप बाजार हैं जिन्हें पेशेवर एचएमडी (Professional HMD) कहा जाता है।



सामान्य एचएमडी में हेल्मेट में लगी हुई दो मिनी डिस्प्ले स्क्रीन (Miniature display screens) होती हैं, जो सीआरटी (CRT). (एलसीडी (LCD) अथवा एलईडी (LED) से बनी होती हैं। साथ में ऐसा ऑप्टीकल सिस्टम (Optical system) भी होता है, जो स्क्रीन पर आने वाले चित्रों को उपयोगकर्ता की आँखों तक पहुंचाता है। लेंसों और अर्ध-पारदर्शी दर्पणों (Semi-transparent mirrors) वाले इन भागों को आई-ग्लास (Eye-glasses) या

एचएमडी में एक गति संवेदी यंत्र (Motion tracker) भी होता है, जो लगातार उपयोगकर्ता के सिर की हलचल, दिशा और स्थिति को मापता रहता है और उसी के अनुसार चित्र उत्पन्न करने वाले कम्प्यूटर को संदेश भेजता है, ताकि वह दृश्य को वर्तमान स्थिति के अनुसार समायोजित (Adjust) कर सके। इसके परिणामस्वरूप दर्शक उस कृत्रिम और आभासी संसार में आस-पास किसी भी दिशा में देख सकता है और उस वातावरण में चल या टहल भी सकता है।

व्यापारिक रूप से उपलब्ध हैड-माउंटेड डिस्प्ले कई प्रकार के होते हैं। उनमें मुख्य अन्तर यह होता है कि वे केवल कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न किये गये चित्रों (Computer generated images) को दिखा सकते है, वास्तविक संसार के सजीव चित्रों को दिखा सकते हैं या दोनों को दिखा सकते हैं। अधिकांश एचएमडी केवल कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न किये गये चित्रों को दिखा सकते हैं, जिन्हें आभासी चित्र (Virtual images) कहा जाता है।

कुछ एचएमडी कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न चित्रों को वास्तविक संसार के चित्रों पर लगाकर दिखा सकते हैं। इन्हें कभी-कभी मिश्रित वास्तविकता (Mixed Reality) कहा जाता है। वास्तविक संसार के चित्रों को कम्प्यूटर जनित चित्रों से संयुक्त करने का कार्य किसी है आंशिक दर्पण द्वारा प्रॉजेक्ट करके किया जाता है और उपयोगकर्त्ता वास्तविक संसार को सीधे देख सकता है। इस विधि को प्रायः ऑप्टीकल सी-थ्रू (Optical See Through) कहा जाता है। वैसे यह कार्य इलेक्ट्रॉनिक रूप से भी किया जा सकता है, जिसमें किसी वीडियो कैमरे के चित्रों को ग्रहण करके इलैक्ट्रॉनिक रूप से कम्प्यूटर जनित चित्रों में मिला दिया जाता है। इस विधि को प्रायः वीडियो सी-थ्रू (Video See Through) कहा जाता है।

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