निर्देशन किसे कहते हैं। निर्देशन की विशेषताएं

निर्देशन के संबंध में सभी विद्वान एकमत नहीं है क्योंकि वर्तमान युग के विभाग की स्थितियों में यह एक ऐसा प्रत्यय है जिसे विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है फिर भी सामान्यता निर्देशन को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया जाता है जिसके आधार पर किसी एक या अनेक व्यक्तियों को किसी ना किसी प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है। निर्देशन के आधार पर ही व्यक्ति अपनी योग्यताओं क्षमताओं कौशलों एवं व्यक्ति से संबंधित विशेषताओं का ज्ञान हो जाता है और वह स्वयं में निहित विशेषताओं का समुचित उपयोग करने में सक्षम हो पाता है। इस प्रकार निर्देशन का उद्देश्य व्यक्ति की समस्याओं का समाधान करना ही नहीं बल्कि इसके आधार पर किसी व्यक्ति को इस योग्य बनाया जाता है कि वह अपनी समस्याओं का समाधान करने में स्वयं ही सक्षम हो सके। अतः अनेक विद्वानों ने निर्देशन को एक ऐसी विशिष्ट सेवा के रूप में परिभाषित किया है जिसके आधार पर जीवन से संबंधित विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए सहायता प्रदान की जाती है

निर्देशन की विशेषताएं

  • निर्देशन जीवन को आगे बढ़ाने में सहायक होता है। शिक्षण की तरह निर्देशन भी विकास की प्रक्रिया है
  • निर्देशन के द्वारा व्यक्ति को अपने निर्णय स्वयं ले सकने में सक्षम बनाना है तथा अपना बार स्वयं वहन करने में सहायता करना है।
  • निर्देशन छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप अनुदेशन को अनुकूलित करने में सहायता प्रदान करता है।
  • प्रभावशाली शिक्षण तथा अनुदेशन में निर्देशन प्रक्रिया निहित होती है। क्योंकि ही बुद्धिमता पूर्ण निर्देशन के अभाव में शिक्षण प्रक्रिया पूर्ण होती है।
  • निर्देशन व्यक्ति के जन्म के लिए समाज के लिए अधिकतम लाभदायक दिशा में उस की अधिकतम क्षमता के विकास में निरंतर सहायक होता है।

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